Description
राष्ट्र एक सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अवधारणा है। इसे किसी के द्वारा बनाया नहीं गया है, बल्कि इसकी उत्पत्ति हुई है। पश्चिमी जगत के विपरीत, जिसमें किसी राष्ट्र को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कारणों के परिणाम के रूप में देखा जाता है, भारत में, यह एक जैविक, जीवित और गतिशील इकाई है जो लगातार विकसित हो रही है। हिंदू राष्ट्र अन्ध ऐतिहासिक ताकतों के अभिसरण पर आधारित विविध लोगों का मिश्रण नहीं है। यह न तो एक ‘सर्वसमाहारी’ है जिसमें लोगों के समुदाय एक पूरे समुदाय में विलीन हो जाते हैं और न ही एक ‘बहु- सांस्कृतिक इकाई है, जिसमें विभिन्न लोग यान्त्रिक रूप से सह-अस्तित्व में रहते हैं । यह एक समावेशी विचार है जो अपनी सार्वभौमिकता में सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में अपनाने में सक्षम है।
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