Description
सुमंगलम्’ से तात्पर्य है मुख्यतः स्वसाधनों से देश के समस्त लोगों के जीवन-स्तर को दीर्घकाल में ऊपर उठाते हुए समग्र सामाजिक सुख में वृद्धि करना एवं सबके मंगल की दिशा में आगे बढ़ना।
सुमंगलम से आशय है अपने शाश्वत जीवन-मूल्यों के प्रकाश में: देश व समाज की प्रकृति-प्रवृत्ति, आशा-आकांक्षा, आवश्यकता और सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के संदर्भ में मुख्यतः अपने ही शक्ति-सामर्थ साधनसंपदाओं एवं कौशल प्रतिभाओं के बलबूते पर देश की कर्मशक्ति, ऊर्जा शक्ति के जागरण के माध्यम से धारणक्षम, पोषणक्षम, संस्कारक्षम, सर्वमंगलकारी, समतामूलक, संतुलित एवं सर्वतोमुखी विकास का दर्शन।
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